बिहार के रहने वाले प्रिंस कुमार सिंह पढ़ाई-लिखाई में काफी होशियार थे. एनआईटी से इंजीनियरिंग और कुछ महीनों तक नौकरी करने के बाद उन्होंने सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू कर दी. अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने बिना कोचिंग के कई बड़ी परीक्षाएं पास कर लीं. पढ़िए आईएफएस ऑफिसर प्रिंस कुमार सिंह की सक्सेस स्टोरी.

Prince Kumar Singh

Prince Kumar Singh UPSC Success Story:

बिहार के एक लड़के ने कम संसाधनों और बिना किसी कोचिंग के कई प्रतियोगी परीक्षाएं पास कीं. घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर भी उसने अपने सपनों को मरने नहीं दिया और डबल मेहनत के साथ सरकारी नौकरी की तैयारी की. इस मुश्किल सफर में जब भी हौसला डगमगाया तो दोस्तों और परिजनों ने उन्हें फिर से कोशिश करने के लिए मोटिवेट किया. उनकी मेहनत और आस-पास वालों का भरोसा काम आया. उन्होंने न सिर्फ यूपीएससी में सरकारी नौकरी हासिल करने का सपना पूरा किया, बल्कि कई अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं भी पास कर लीं. हम बात कर रहे हैं आईएफएस अफसर प्रिंस कुमार सिंह की.

Prince Kumar Singh IFS Biography:

प्रिंस कुमार सिंह का जन्म बिहार के रोहतास में हुआ था. वह एक लोअर मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता असम राइफल्स में हवलदार और मां होममेकर हैं. इन दिनों प्रिंस बिहार में बतौर बीडीओ यानी ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर की ट्रेनिंग हासिल कर रहे हैं. यूपीएससी की तरफ से ऑफर लेटर आते ही वह आईएफएस अफसर की ट्रेनिंग के लिए मसूरी स्थित LBSNAA चले जाएंगे. सरकारी नौकरी का उनका यह सफर काफी मुश्किलों भरा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आखिरकार अपनी मंजिल हासिल कर ही ली. पढ़िए उनसे हुए एक्सक्लूसिव बातचीत.

UPSC Attempts:

प्रिंस कुमार सिंह ने 3 बार यूपीएससी परीक्षा दी थी. शुरुआती दो अटेंप्ट्स में वह यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा भी पास नहीं कर पाए थे. घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से प्रिंस कुमार सिंह ने यूपीएससी कोचिंग जॉइन नहीं की थी. इस इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि यूपीएससी कोचिंग की फीस बजट से बहुत ज्यादा थी. उनके लिए उसे अफोर्ड कर पाना आसान नहीं था. मेंस के दौरान वह टेस्ट सीरीज भी जॉइन नहीं कर पाए थे. लेकिन इसकी वजह से उनके कदम डगमगाए नहीं. वह टॉपर्स कॉपी और पिछले साल के प्रश्न पत्रों की मदद से तैयारी करते रहे. उन्होंने सिर्फ यूपीएससी इंटरव्यू के लिए कोचिंग जॉइन की थी.

Competitive Exams in India:

प्रिंस कुमार सिंह 2 साल की कठिन मेहनत के बाद कई प्रतियोगी परीक्षाएं पास करने में सफल हुए थे. उन्होंने एसएससी सीजीएल 2022 में ऑल इंडिया रैंक 177 हासिल की थी. इससे उन्हें दिल्ली में असिस्टेंट ऑडिट ऑफिसर की सरकारी नौकरी मिली थी. फिर 67वीं बीपीएससी परीक्षा में 222 रैंक के साथ उन्हें बीडीओ पद पर पोस्टिंग मिली. उन्होंने 2 बार सीएपीएफ एसी की लिखित परीक्षा पास की थी लेकिन फाइनल लिस्ट में नाम बनाने से चूक गए थे. 2023 में वह यूपीएससी सीएसई इंटरव्यू स्टेज तक पहुंच गए थे. उसी साल यूपीएससी आईएफएस परीक्षा में 15वीं रैंक भी हासिल कर ली.

Prince Kumar Singh IFS Education Qualification:

प्रिंस कुमार सिंह ने बिहार के कैमूर जिले में स्थित भभुआ से स्कूलिंग की है. इसके बाद उन्होंने एनआईटी जालंधर (पंजाब) से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया था (Chemical Engineering). वह 2016-2020 बैच के स्टूडेंट थे. डिग्री लेने के बाद उन्होंने 8 महीने तक गुजरात की एक केमिकल इंडस्ट्री में नौकरी की थी. फिर मार्च 2021 में इस नौकरी से रिजाइन करने के बाद वह यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में जुट गए थे. अगले एक साल तक उन्होंने कई परीक्षाएं दीं लेकिन किसी में भी सफल नहीं हो पाए.

UPSC Motivational Story:

प्रिंस कुमार सिंह CAPF कमांडेंट के फिजिकल टेस्ट में शॉटपुट में फेल हो गए थे. वह इसे अपनी जिंदगी का सबसे बुरा दिन बताते हैं. उस समय उनकी फाइनेंशियल कंडिशन ठीक नहीं थी और इस परीक्षा के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की थी. उनके पास दिल्ली जाकर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने लायक रुपये नहीं थे. उन्होंने मान लिया था कि यूपीएससी परीक्षा पास करना उनके बस की बात नहीं है और तब वह टीचिंग यानी शिक्षण में करियर बनाने के बारे में सोचने लगे थे. हालांकि तब उनके दोस्तों और परिजनों ने उनका काफी सपोर्ट किया. इसका नतीजा यह रहा कि उन्होंने 1 महीने बाद फिर से अपनी तैयारी शुरू कर दी.

UPSC Inspirational Story:

प्रिंस कुमार सिंह ने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में ऑप्शनल विषय के तौर पर सोशियोलॉजी लिया था. फिर भारतीय वन सेवा की परीक्षा में उन्होंने अपने विषय केमिकल इंजीनियरिंग और फॉरेस्ट्री रखे थे. केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की वजह से उनके बेसिक्स बिल्कुल क्लियर थे और इसीलिए उन्हें इसकी तैयारी करने में ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ी. वह बताते हैं कि सिविल सर्विस में नौकरी का ख्याल कोविड के दौरान आया था, जब उन्होंने कोटा और पटना के कलेक्टर्स को जिम्मेदारी के साथ काम करते हुए देखा था. उसी दौरान उन्हें डीएम की अथॉरिटी का अहसास हुआ था.

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